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क्वेटा स्थित दक्षिणी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल आमिर रियाज ने यह बात बलूचिस्तान फंट्रियर कोर (एफसी) मुख्यालय में एक पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में कही। ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने उनके हवाले से कहा कि भारत को पाकिस्तान के साथ ‘‘शत्रुता छोड़कर’’ ईरान, अफगानिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देशों के साथ 46 अरब डॉलर वाले सीपीईसी में शामिल होना चाहिए और उसका लाभ उठाना चाहिए।
भारत ने परियोजना पर चिंता जताई है
रियाज ने कहा, ‘‘भारत को पाकिस्तान विरोधी गतिविधियां और तोड़फोड़ छोड़कर भविष्य के विकास का फल साझा करना चाहिए।’’ 46 अरब डॉलर की लागत वाली सीपीईसी का उद्देश्य चीन के पश्चिमी हिस्सों को बलूचिस्तान के रणनीतिक ग्वादर बंदरगाह के जरिये अरब सागर से जोड़ना है। भारत ने परियोजना को लेकर पहले ही अपनी चिंता व्यक्त कर दी है जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से भी होकर गुजरता है।
रियाज ने किया आगाह
पाकिस्तान के शीर्ष जनरल का आह्वान दोनों देशों के बीच तनाव तथा बलूचिस्तान में विध्वंसक गतिविधियों में भारत के शामिल होने के पाकिस्तान के आरोपों के बीच आया है। बलूचिस्तान की सुरक्षा की जिम्मेदारी पाकिस्तानी सेना के दक्षिणी कमान की है। रियाज ने साथ ही लोगों को आगाह किया कि वे स्वनिर्वासित नेताओं से गुमराह नहीं हों। रिजाज के अनुसार ऐसे नेता पाकिस्तान को बांटने के लिए ‘‘दुश्मन’’ के पेरोल पर हैं।
उन्होंने बलूचिस्तान में कानून एवं व्यवस्था में सुधार होने की बात करते हुए कहा कि आतंकवादी बंदूक के बल पर अपनी विचारधारा थोपने का प्रयास कर रहे थे लेकिन उन्हें पराजित कर दिया गया है।
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