MITRA MANDAL GLOBAL NEWS

DHARM( Religion)

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धर्म एक ऐसा जंजाल है।
जहाँ आदमी बेहाल है।
धर्म एक ऐसा धंधा है
जहाँ आदमी अँधा है।
धर्म एक ऐसा खेल है
जहाँ टूटता मेल है।
धर्म एक ऐसा जंगल है
 जहाँ धूर्त ,पाखंडियों का मंगल है।
धर्म एक ऐसा तूफ़ान है
जहाँ आदमी बनता हैवान है।
धर्म एक ऐसा  दुधारू तलवार है
जहाँ बंट जाता भाई से भाई का प्यार है।
धर्म एक ऐसी रीति है
जैसे बालू पे टिकी भीति है।
धर्म एक ऐसी लहर है
जो ज़हर बनकर ढाती कहर है।
धर्म का ऐसा रूप है
कहीं छाँव तो कहीं धूप है।
धर्म एक ऐसी बीमारी है
बुर्जुवा समाज की यह लाचारी है।
             @  प्रमोद  श्रीवास्तव

Election reforms-II

भारत में चुनाव सुधार के  सन्दर्भ में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर जून २००२ में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा यह आदेश जारी किया गया कि प्रत्येक प्रतिभागी को  शपथ -पत्र देना होगा ,जिसमें अर्जित सम्पत्ति के साथ -साथ आपराधिक प्रकरणों का ब्यौरा दर्ज करना अनिवार्य है।
 आचार -संहिता ,सुरक्षा -निधि में बढ़ोत्तरी ,राजनीतिक दलों का पंजीयन ,लेखा बही की अनिवार्यता ,जनप्रतिनिधित्व अधिनियम १९५० जो मुख्यतः निर्वाचन सूची की तैयारी तथा पुनः परीक्षण से सम्बंधित है ,के साथ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम १९५१ जो चुनाव के वास्तविक संचालन हेतु दिशा -निर्देश का कार्य करता है ,के द्वारा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष  चुनाव का प्रावधान किया गया है।
     भारत में धर्म ,जाति ,क्षेत्र ,भाषा तथा अन्य सामाजिक  भावनावों से ओत -प्रोत होकर मतदान करने की प्रवृति को दूर  करने के लिए सभी राजनीतिक दलों में आतंरिक लोकतंत्र का विकास करना होगा ,जिसे निम्न प्रकार से किया जा सकता है।
 भारत के सभी राजनीतिक दल अपने ग्राम -पंचायत स्तर के सदस्यों के समूह से एक ग्राम पंचायत  अध्यक्ष का गुप्त मतदान के माध्यम से चुनाव करें।
 जनपद पंचायत स्तर पर उस जनपद में सम्मिलित सभी ग्राम पंचायत के अध्यक्ष  गुप्त मतदान द्वारा जनपद अध्यक्ष का चुनाव करें।
 विधान सभा स्तर पर उस विधान सभा में समावेशित सभी जनपद के अध्यक्ष  अपने दल के विधान सभा अध्यक्ष का चुनाव करें।
लोक सभा स्तर पर उस लोकसभा में समावेशित सभी विधान सभा के अध्यक्ष  अपने दल के लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव गुप्त मतदान प्रणाली से करें।
                          इस प्रकार से विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा चुने गए अपने प्रतिनिधियों को ही उस
स्तर पर चुनाव के लिए नामांकित किया जावे।
                             विभिन्न राजनितिक दलों द्वारा निर्धारित समय(०३ -०५  वर्ष )पर चुने गए अपने प्रतिनिधियों  का पुस्तिका रखा जाय ,जिसकी जांच राजनितिक दलो के पंजीयक द्वारा किया जाय।
                             भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा अपने सदस्यों के समूह से अपने प्रतिनिधियो का चुनाव कर चुने हुए प्रतिनिधियों को चुनाव में भाग लेने का  टिकट दिए जाने की अनिवार्यता का कानून बनाये जाने से चुनाव की निष्पक्षता एवं स्वतंत्रता को और प्रभावी बनाया जा सकता है। 

Election Reforms

Election Reforms :-भारत की निर्वाचन प्रणाली में अनेक खूबियों के साथ कुछ बुराईयाँ हैं ,इन बुराईयों को दूर करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा भारत सरकार  को कई उपाय सुझाये गए हैं , इसके अतिरिक्त चुनाव सुधार  के लिए - समय पर कई समिति गठित की गई ,जिसका विवरण निम्नानुसार है।
१ -तारकुंडे समिति रिपोर्ट १९७५
२-गोस्वामी समिति रिपोर्ट १९९०
३ -वोरा समिति रिपोर्ट १९९३
४-इंद्रजीत समिति रिपोर्ट १९९८
५ डी  के जैन की अगुवाई में लॉ कमीशन की रिपोर्ट १९९९
६ -नेशनल कमीशन टू रिव्यु दि वर्किंग ऑफ़ दि कंस्टीटूयोंशन २००१
७ -भारत निर्वाचन आयोग २००४
८ -द्वितीय प्रशासनिकसुधार समिति की रिपोर्ट २००८
                                                 इसके अतिरिक्त सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों ने चुनाव प्रणाली में सुधार के लिए सरकार को बाध्य किया है। १९५० से १६ ओक्टूबर १९८९ तक एक सदस्यीय निकाय के रूप में भारत के चुनाव आयोग का कार्य रहा है। १६ अक्टूबर १९८९ से ०१ जनवरी १९९० (२ माह १५ दिन )तक तीन सदस्यीय रहा। ०१ जनवरी १९९० को फिर एक सदस्यीय बना  दिया गया। किन्तु अक्टूबर १९९३ में केंद्रीय सरकार की सिफारिस पर राष्ट्रपति ने एक अध्यादेश जारी करके निर्वाचन आयोग को तीन सदस्यीय बना दिया। दिसम्बर १९९३ में राष्ट्रपति के अध्यादेश को संसद ने पारित कर उसे कानूनी रूप दे दिया। टी एन शेषन द्वारा सरकार के इस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दिए जाने पर सर्वोच्च न्यायालय ने शेषन को संविधान के अनुसार अपनी मर्यादा में रहकर अन्य आयुक्तों के साथ मिलकर (सहयोग से )कार्य करने की हिदायत दी। भारतीय निर्वाचन प्रणाली में दागी (अपराधी )व्यक्तियों का चुनकर सांसद बनना तथा कार्पोरेट घरानों द्वारा चुनाव को प्रभावित कर अपने हित में अपने प्रतिनिधि के माध्यम से संसद का संचालन किया जाना एक गम्भीर समस्या है।
                                                                                                                                           (  शेष अगले अंक में )

Women-Day

मै अपने निजी वाहन से सपरिवार अंबिकापुर से जशपुर ,कुनकुरी ,गुमला होते रांची गया था.रास्ते में  भोजन की सुविधा उपलब्ध कराने वाले जशपुर ,कुनकुरी ,गुमला के किसी होटल में महिला शौचालय की व्यवस्था नहीं है। महिला -दिवस की सार्थकता के लिए यह अनिवार्य है कि सभी व्यवसायिक केन्द्रों ,परिसरों में स्वछ ,साफ -सुथरा  महिला शौचालय की सुविधा हो ,जिसका उपयोग महिलाओं द्वारा निःसंकोच किया जा सके। 

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