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प्राचीन मिश्र की भाषा :-प्राचीन मिश्र के लोग जिस भाषा में बोलते एवं लिखते थे ,उसे आगे चलकर लोग भूल गए। इन लेखों को कोई नहीं पढ़ सकता था। १९वी शताब्दी के आरम्भ में कोई यात्री मिस्र के रोजजेत्ता नामक नगर में मिला एक पत्थऱ यूरोप लाया। उस पर मिश्री और यूनानी भाषाओं में अभिलेख खुदे हुए थे ,जिनमे रजा के नाम के गिर्द आयत खींचा हुआ था। यूनानी और उस कल में ज्ञात दूसरी प्राचीन भाषाएं जाननेवाले एक युवा फ्रांसीसी विद्वान शेपोलियों का अनुमान था कि राजा के नाम में हर चित्राक्षर किसी निश्चित अक्षर का द्योतक है ,किन्तु कुछ स्वरों को छोड़ दिया गया है। विभिन्न भाषाओं के अभिलेखो की तुलना करके शेपोलियों ने कुछ चित्राक्षरों का अर्थ मालूम कर लिया। एस कम में उसे एक अन्य पत्थर पर खुदे अभिलेख से बड़ी सहायता मिली,जिसमें एक ऐसे नारी नाम के बगल में आयत बना हुआ था ,जिसे वह जनता था। ज्ञात अर्थ वाले चित्राक्षरों का इस्तेमाल करके शेंपोलियो दूसरे फिराऊनो के नाम पढ़ने में भी सफल हो गया। इस तरह प्राचीन मिश्री लेखों का पढ़ा जाना आरंभ हुआ। इसी प्रकार सिंधु लिपि को भी पढने का दावा कुछ लोगों द्वारा किया गया है ,किन्तु सिंधु लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।

प्राचीन मिश्र की भाषा :-प्राचीन मिश्र के लोग जिस भाषा में बोलते एवं लिखते  थे ,उसे आगे चलकर लोग भूल गए। इन लेखों को कोई नहीं पढ़ सकता था।
  १९वी शताब्दी के आरम्भ में कोई यात्री  मिस्र के रोजजेत्ता नामक नगर में मिला एक पत्थऱ यूरोप लाया। उस पर मिश्री और यूनानी भाषाओं  में अभिलेख खुदे हुए  थे  ,जिनमे रजा के नाम के गिर्द आयत खींचा हुआ था। यूनानी और उस कल में ज्ञात दूसरी प्राचीन भाषाएं जाननेवाले एक युवा फ्रांसीसी विद्वान शेपोलियों का अनुमान था कि राजा के नाम में हर चित्राक्षर  किसी निश्चित अक्षर का द्योतक है ,किन्तु कुछ स्वरों को छोड़ दिया गया है। विभिन्न भाषाओं के अभिलेखो की तुलना करके शेपोलियों ने कुछ चित्राक्षरों का अर्थ मालूम कर लिया। एस कम में उसे एक अन्य पत्थर पर खुदे अभिलेख से बड़ी सहायता मिली,जिसमें एक ऐसे नारी नाम के बगल में आयत बना हुआ था ,जिसे वह जनता था। ज्ञात अर्थ वाले चित्राक्षरों का इस्तेमाल करके  शेंपोलियो दूसरे फिराऊनो के नाम पढ़ने में भी सफल हो गया। इस तरह प्राचीन मिश्री लेखों का पढ़ा जाना आरंभ हुआ।
                           इसी प्रकार सिंधु लिपि को भी पढने का दावा कुछ लोगों द्वारा किया गया है ,किन्तु सिंधु लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। 

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