MITRA MANDAL GLOBAL NEWS

गौतम बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग :-ईसा से ०६ शताब्दी पुर्व महात्मा गौतम बुद्ध ने कुशल जीवन के लिए अष्टांगिक मार्ग का प्रतिपादन किया था। कुशल जीवन के लिए महात्मा बुद्ध के बताये हुए ०८ (आठ ) सूत्र आज भी प्रासंगिक है. ०१-सम्यक दृष्टि :-किसी घटना के तीन पक्ष होते हैं -तथ्य ,कथ्य एवं सत्य। घटना तथ्य है ,धारणा कथ्य है ,प्रेरणा सत्य है। हर घटना से एक शुभ प्रेरणा ग्रहण करें। यही सम्यक -दृष्टि है। ०२ :-सम्यक -स्मृति :-स्वयं को सही,श्रेष्ठ एवं निर्दोष तथा दूसरे को गलत ,तुच्छ एवं दोषी सिद्ध करना अहंकारी व्यक्ति का लक्षण है। प्रतिशोध की जगह क्षमा को अपनाएं। निरर्थक की जगह सार्थक को याद रखें। यही सम्यक स्मृति है। ०३ :-सम्यक कर्म :-असफलता का दायित्व स्वयं लें। सफलता का श्रेय अस्तित्व को दें। ईश्वर,भाग्य,परिस्तिथि या अन्य को दोष देना अनीति है। अपनी क्षमता को पहचानें ,पहलकर कर्म करें। यही सम्यक कर्म है। ०४:-सम्यक आजीविका :-कुछ कहने ,कुछ करने के पहले अपने भीतर झाँक लें कि मन शांत तो है। अशांत होने पर विश्राम और शांत होने पर सक्रिय रहें। परस्पर आदर,विश्वास और सहयोगपूर्वक कार्य करें। कार्यस्थल को स्वच्छ और कार्यजीवन को तनावमुक्त रखते हुए हमेशा खुश रहें। यही सम्यक आजीविका है। ०५ :-सम्यक वाणी :-विनम्र रहें। विनम्रतापूर्वक सबसे व्यवहार करें। किसी प्रकार का आडम्बर ,पाखंड न करें। कथनी -करनी में भेद न रखें। यही सम्यक वाणी है। ०६ :-सम्यक संकल्प :-शुभ संकल्प करें। सबके साथ उसे पूरा करने का प्रयास करें।लक्ष्य प्राप्ति के लिए संकल्प में विकल्प का प्रयास न करें। संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता है। यही सम्यक संकल्प है। ०७ :सम्यक व्यायाम :-कर्म को निष्ठा पूर्वक करें। उद्देश्य प्राप्ति के लिए सतत चेष्टा करें ,फल सदा उदेश्य के अनुकूल हो ,ऐसा आग्रह न रखें। यही सम्यक व्यायाम है। ०८ :-सम्यक समाधि :-काम ,क्रोध ,मद ,लोभ ,मोह ,अशांति ,क्षोभ ,तनाव भाव ,विचार के कारणों के प्रति सदा साक्षी रहें। साँसों का हिसाब रखे। यही सम्यक समाधि है।


No comments:

Post a Comment

Mitra-mandal Privacy Policy

This privacy policy has been compiled to better serve those who are concerned with how their  'Personally Identifiable Inform...