MITRA MANDAL GLOBAL NEWS

Republic-day

आज भारत विश्व का सबसे बड़ा गणतंत्र देश है।गणतांत्रिक शासन प्रणाली की उपलब्धियों के साथ -साथ नित नई -नई चुनोतियों से जूझना पड़ रहा है। जन आकांक्षाओं पर खरा उतरने के लिए इन  चुनौतीयों का पूर्व आकलन कर इन्हें दूर करना होगा। प्रमुख चुनौतियाँ इस प्रकार है।
१ -जनसँख्या की समस्या -भारत आगामी २० वर्षों में दुनिया का सबसे बड़ा आबादी वाला देश बन जायेगा। हमें भारत को स्थिर जनसँख्या वाला देश आगामी पाँच वर्षों के अंदर बनाना होगा।
२-पर्यावरण की समस्या-पर्यावरण -संतुलन के साथ औद्योगिक विकास का खाका तैयार हो।
३ -आतंकवाद की समस्या -आगामी दस वर्षों में आतंकवाद का स्वरुप बदल जायेगा। जाति ,धर्म,नस्ल पर आधारित आतंकवाद का प्रभाव बढ़ेगा। यह आतंक भारत में सुनियोजित तरीके से संबैधानिक संस्थाओं की आड़ में किया जायेगा।
४ रोजगार की समस्या ;-आगामी सात वर्षो में प्रत्येक क्षेत्र में प्रशासन की मिलीभगत से माफिया वर्ग रोजगार के साधनों को हड़पने का प्रयास करते रहेंगे ,जिसके कारण योग्य एवं समर्थ युवा वांछित रोजगार से वंचित होते रहेंगे।
५ - खाद्यान की समस्या-भारत की जनसँख्या का ५५%गरीबी में जीवनयापन कर रहा है ,दुनिया भर के गरीब लोगों का ३३% भारत में रह रहें हैं। विश्व में कुपोषण के शिकार बच्चों में ०३ में ०१ भारत में रहता है। आज भी ५०% भारतीय बच्चों की कुपोषण के कारण मृत्यु हो जाती है। भारत में आय समूहो का १० % समूह देश की आधी  आय का स्वामित्व लेकर बैठा है। शासकीय बैंको का यह समूह करोड़ो रूपया डकार गया है। खाद्यान उत्पादन में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है। खाद्यान समस्या का एक प्रमुख कारण आय की असमानता एवं शासकीय योजनाओं में भ्रष्टाचार है।
६ -ऊर्जा की समस्या -भारत में ६० करोङ लोगों के पास बिजली नहीं है। भारत में ऊर्जा के क्षेत्र में भी कोल माफिया,तेल -माफिया ,उद्योग माफिया सक्रिय हैं ,जिसके कारण वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में अनुसन्धान एवं  वैकल्पिक ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित नहीं किया गया। रतनजोत की खेती के नाम पर कुछ राज्यों द्वारा करोङों रूपये डकार लिए गए ,जिसे माफिया के दबाव में तहस -नहस कर दिया गया।
७ -आवास की समस्या -भारत में झोपड़पट्टी में रहनेवालों की संख्या लगभग ९. ५ (साढ़े नौ ) करोड़ हो गई है कांक्रीट ,पत्थर का जंगल ख़ड़े  करने  के बजाय गरीबों के लिए गाँव में आवास -नियोज न का प्रारूप पर कार्य करना होगा।
                                                                                                                                         शेष अगले बार 

गौतम बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग :-ईसा से ०६ शताब्दी पुर्व महात्मा गौतम बुद्ध ने कुशल जीवन के लिए अष्टांगिक मार्ग का प्रतिपादन किया था। कुशल जीवन के लिए महात्मा बुद्ध के बताये हुए ०८ (आठ ) सूत्र आज भी प्रासंगिक है. ०१-सम्यक दृष्टि :-किसी घटना के तीन पक्ष होते हैं -तथ्य ,कथ्य एवं सत्य। घटना तथ्य है ,धारणा कथ्य है ,प्रेरणा सत्य है। हर घटना से एक शुभ प्रेरणा ग्रहण करें। यही सम्यक -दृष्टि है। ०२ :-सम्यक -स्मृति :-स्वयं को सही,श्रेष्ठ एवं निर्दोष तथा दूसरे को गलत ,तुच्छ एवं दोषी सिद्ध करना अहंकारी व्यक्ति का लक्षण है। प्रतिशोध की जगह क्षमा को अपनाएं। निरर्थक की जगह सार्थक को याद रखें। यही सम्यक स्मृति है। ०३ :-सम्यक कर्म :-असफलता का दायित्व स्वयं लें। सफलता का श्रेय अस्तित्व को दें। ईश्वर,भाग्य,परिस्तिथि या अन्य को दोष देना अनीति है। अपनी क्षमता को पहचानें ,पहलकर कर्म करें। यही सम्यक कर्म है। ०४:-सम्यक आजीविका :-कुछ कहने ,कुछ करने के पहले अपने भीतर झाँक लें कि मन शांत तो है। अशांत होने पर विश्राम और शांत होने पर सक्रिय रहें। परस्पर आदर,विश्वास और सहयोगपूर्वक कार्य करें। कार्यस्थल को स्वच्छ और कार्यजीवन को तनावमुक्त रखते हुए हमेशा खुश रहें। यही सम्यक आजीविका है। ०५ :-सम्यक वाणी :-विनम्र रहें। विनम्रतापूर्वक सबसे व्यवहार करें। किसी प्रकार का आडम्बर ,पाखंड न करें। कथनी -करनी में भेद न रखें। यही सम्यक वाणी है। ०६ :-सम्यक संकल्प :-शुभ संकल्प करें। सबके साथ उसे पूरा करने का प्रयास करें।लक्ष्य प्राप्ति के लिए संकल्प में विकल्प का प्रयास न करें। संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता है। यही सम्यक संकल्प है। ०७ :सम्यक व्यायाम :-कर्म को निष्ठा पूर्वक करें। उद्देश्य प्राप्ति के लिए सतत चेष्टा करें ,फल सदा उदेश्य के अनुकूल हो ,ऐसा आग्रह न रखें। यही सम्यक व्यायाम है। ०८ :-सम्यक समाधि :-काम ,क्रोध ,मद ,लोभ ,मोह ,अशांति ,क्षोभ ,तनाव भाव ,विचार के कारणों के प्रति सदा साक्षी रहें। साँसों का हिसाब रखे। यही सम्यक समाधि है।


प्राचीन मिश्र की भाषा :-प्राचीन मिश्र के लोग जिस भाषा में बोलते एवं लिखते थे ,उसे आगे चलकर लोग भूल गए। इन लेखों को कोई नहीं पढ़ सकता था। १९वी शताब्दी के आरम्भ में कोई यात्री मिस्र के रोजजेत्ता नामक नगर में मिला एक पत्थऱ यूरोप लाया। उस पर मिश्री और यूनानी भाषाओं में अभिलेख खुदे हुए थे ,जिनमे रजा के नाम के गिर्द आयत खींचा हुआ था। यूनानी और उस कल में ज्ञात दूसरी प्राचीन भाषाएं जाननेवाले एक युवा फ्रांसीसी विद्वान शेपोलियों का अनुमान था कि राजा के नाम में हर चित्राक्षर किसी निश्चित अक्षर का द्योतक है ,किन्तु कुछ स्वरों को छोड़ दिया गया है। विभिन्न भाषाओं के अभिलेखो की तुलना करके शेपोलियों ने कुछ चित्राक्षरों का अर्थ मालूम कर लिया। एस कम में उसे एक अन्य पत्थर पर खुदे अभिलेख से बड़ी सहायता मिली,जिसमें एक ऐसे नारी नाम के बगल में आयत बना हुआ था ,जिसे वह जनता था। ज्ञात अर्थ वाले चित्राक्षरों का इस्तेमाल करके शेंपोलियो दूसरे फिराऊनो के नाम पढ़ने में भी सफल हो गया। इस तरह प्राचीन मिश्री लेखों का पढ़ा जाना आरंभ हुआ। इसी प्रकार सिंधु लिपि को भी पढने का दावा कुछ लोगों द्वारा किया गया है ,किन्तु सिंधु लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।

प्राचीन मिश्र की भाषा :-प्राचीन मिश्र के लोग जिस भाषा में बोलते एवं लिखते  थे ,उसे आगे चलकर लोग भूल गए। इन लेखों को कोई नहीं पढ़ सकता था।
  १९वी शताब्दी के आरम्भ में कोई यात्री  मिस्र के रोजजेत्ता नामक नगर में मिला एक पत्थऱ यूरोप लाया। उस पर मिश्री और यूनानी भाषाओं  में अभिलेख खुदे हुए  थे  ,जिनमे रजा के नाम के गिर्द आयत खींचा हुआ था। यूनानी और उस कल में ज्ञात दूसरी प्राचीन भाषाएं जाननेवाले एक युवा फ्रांसीसी विद्वान शेपोलियों का अनुमान था कि राजा के नाम में हर चित्राक्षर  किसी निश्चित अक्षर का द्योतक है ,किन्तु कुछ स्वरों को छोड़ दिया गया है। विभिन्न भाषाओं के अभिलेखो की तुलना करके शेपोलियों ने कुछ चित्राक्षरों का अर्थ मालूम कर लिया। एस कम में उसे एक अन्य पत्थर पर खुदे अभिलेख से बड़ी सहायता मिली,जिसमें एक ऐसे नारी नाम के बगल में आयत बना हुआ था ,जिसे वह जनता था। ज्ञात अर्थ वाले चित्राक्षरों का इस्तेमाल करके  शेंपोलियो दूसरे फिराऊनो के नाम पढ़ने में भी सफल हो गया। इस तरह प्राचीन मिश्री लेखों का पढ़ा जाना आरंभ हुआ।
                           इसी प्रकार सिंधु लिपि को भी पढने का दावा कुछ लोगों द्वारा किया गया है ,किन्तु सिंधु लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। 

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