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मौत से डर नही लगता-हॉकिंग

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 Deutsche Welle 

ब्रह्मांड को समझा पर महिलाओं को नहीं: हॉकिंग

मौत से डर नही लगता बल्की इससे जीवन का और ज्यादा आनंद लेने की प्रेरणा मिलती है, यह कहने वाले महान वैज्ञानिक और अंतरिक्ष वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग की जिंदगी उनकी खोजों की तरह ही अचंभित कर देने वाली है.
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 1988 में जर्मन पत्रिका डेय स्पीगल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि हम सभी यह जानते है कि हम कहां से आए हैं. 10 लाख से अधिक प्रतियों में बिक चुकी उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम ने बिग बैंग सिद्धांत, ब्लैक होल, प्रकाश शंकु और ब्रह्मांड के विकास के बारे में नई खोजों का दावा कर दुनिया भर में तहलका मचाया था. इस पुस्तक के प्रकाशित होने के बाद हॉकिंग न सिर्फ आम जनता में लोकप्रिय हो गए बल्कि विज्ञान जगत का चमकता सितारा बने.
ब्लैक होल थ्योरी
1974 में इस हॉकिंग ने दुनिया को अपनी सबसे महत्वपूर्ण खोज ब्लैक होल थ्योरी से रूबरू करवाया. उन्होंने बताया कि ब्लैक होल क्वांटम प्रभावों की वजह गर्मी फैलाते हैं. 1974 में महज 32 वर्ष की उम्र में वह ब्रिटेन की प्रतिष्टत रॉयल सोसाइटी के सबसे कम उम्र के सदस्य बने. पांच साल बाद ही वह कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर बन गए. यह वही पद था जिस पर कभी महान वैज्ञानिक आइनस्टीन नियुक्त थे.
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मौत को मात
हॉकिंग को बचपन में ही एएलएस नामक गंभीर बीमारी हो गई थी. इसमें शरीर की मांस पेशियां काम करना बंद कर देती हैं. हॉकिंग चल फिर नहीं सकते, वह बातें भी कंप्यूटर की सहायता से कर पाते हैं. डॉक्टरों का अनुमान था कि वह पांच साल से ज्यादा जिंदा नहीं रह सकेंगे लेकिन उन्होंने इन दावों को झुठला दिया. हॉकिंग के पास अपना एक उपकरण है जो उनकी व्हीलचेअर में लगा है. इसकी सहायता से वह रोजमर्रा के कामों के आलावा अपनी खोज में भी जुटे रहते हैं. बीते बरसों में हॉकिंग ने अपने सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करने के लिए भारतीय वैज्ञानिक और सॉफ्टवेयर इंजीनियर अरुण मेहता से भी संपर्क किया था.
हॉकिंग की ऊंची उड़ान
2007 में विकलांगता के बावजूद उन्होंने विशेष रूप से तैयार किए गए विमान में बिना गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र में उड़ान भरी. वह 25-25 सेकेण्ड के कई चरणों में गुरुत्वहीन क्षेत्र में रहे. इसके बाद उन्होंने अंतरिक्ष में उड़ान भरने के अपने सपने के और नजदीक पहुचने का दावा भी किया.
नहीं होता स्वर्ग
बीते साल हॉकिंग ने स्वर्ग की परिकल्पना को सिरे से खारिज करते हुए इसे अंधेरे से डरने वालों की कहानी करार दिया. उन्होंने कहा की उन्हें मौत से डर नहीं लगता बल्कि इससे जीवन का और अधिक आनद लेने की प्रेरणा मिलती है. हॉकिंग ने ये भी कहा है की हमारा दिमाग एक कम्पूटर की तरह है जब इसके पुर्जे खराब हो जाएंगे तो यह काम करना बंद कर देगा. खराब हो चुके कंप्यूटरों के लिए स्वर्ग और उसके बाद का जीवन नहीं है. स्वर्ग केवल अंधेरे से डरने वालों के लिए बनाई गई कहानी है. अपनी नई किताब द ग्रैंड डिजायन में प्रोफेसर हॉकिंग ने कहा है कि ब्रह्मांड खुद ही बना है. यह बताने के लिए विज्ञान को किसी देवी शक्ति की जरूरत नहीं है.
200 साल के भीतर धरती तबाह
Stephen Hawking
प्रोफेसर हॉकिंग ने यह कहकर भी सनसनी फैला चुके हैं कि 200 साल के भीतर धरती का विनाश हो जाएगा. 2010 में दिए गए इस बयान में हॉकिंग ने कहा कि बढ़ती आबादी, घटते संसाधन और परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा लगातार धरती पर मंडरा रहा है. अगर इंसान को इससे बचना है तो अंतरिक्ष में आशियाना बनाना पड़ेगा. विपरीत परिस्थितियों में जिंदा रहने के सिद्धांत का हवाला देते हुए हॉकिंग ने कहा की पहले इंसान के अनुवांशिक कोड में लड़ने-जूझने की जबरदस्त शक्ति थी. अब ऐसा नहीं है. 100 साल बाद यदि इंसान को अपना अस्तित्व बचाना है तो धरती को छोड़कर कोई दूसरा ठिकाना खोजना होगा.
मार्लिन मोनरो के दीवाने
हॉकिंग अतीत में जाने का रास्ता और भविष्य में जाने का शॉर्टकट खोजना चाहते हैं. कहते हैं एक जमाने में बीते कल की यात्रा की बात को वैज्ञानिक सनक मान जाता था. वह खुद भी इस बारे में बात करने से डरते थे. लेकिन अब उन्हें इसकी परवाह नहीं है. वह भी गुजरे जमाने की यात्रा करने के दीवाने हैं. हॉकिंग के अनुसार यदि उनके पास टाइम मशीन होती तो वह हॉलीवुड की सबसे खूबसूरत अदाकारा मानी जाने वाली मार्लिन मोनरो से मिलने जाते. उनके मुताबिक कोई भी चीज असम्भव नहीं है. तर्क देते हैं कि हर भौतिक वस्तु के कई आयाम होते हैं. बीते कल की यात्रा का मतलब ही है कि आयामों के पार जाना.
महिलाओं को नहीं समझ पाए
1974 में हॉकिंग ने भाषा की छात्रा जेन विल्डे से शादी की. दोनों के तीन बच्चे हुए लेकिन 1999 में तलाक भी हो गया. इसके बाद हॉकिंग ने दूसरी शादी की. कुछ दिनों पहले जब एक इंटरव्यू में उनसे पूर्ण रहस्य के बारे में पूछा गया तो जवाब दिया कि महिलाएं अभी भी पूर्ण रहस्य ही हैं.
रिपोर्ट: जितेंद्र व्यास
संपादन: ओ सिंह

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