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नयी दिल्ली 15 अक्तूबर (भाषा) चेरी ब्लॉसम का जिक्र आते ही जेहन में जापान और अमेरिका के वे ठन्डे इलाके याद आते है जहां चेरी के फूलों से लदे बागान सर्द मौसम का स्वागत करने को बेताब दिखते है। लेकिन अब चेरी की रंगत का लुत्फ़ उठाने के लिए जापान या अमेरिका जाने की जरुरत नहीं होगी। सर्द मौसम की आमद पर भारत ने दुनिया भर के सैलानियों को चेरी ब्लॉसम की खुशनुमा रंगत से लुभाने की तैयारी कर ली है। भारत में दुनिया का पहला अंतरराष्ट्रीय चेरी ब्लॉसम महोत्सव मेघालय की राजधानी शिलांग में आयोजित किया जा रहा है। अपने तरह के इस अनूठे आयोजन की विस्तृत रुपरेखा का खुलासा मेघालय के मुख्यमंत्री मुकुल एम संगमा कल यहाँ करेंगे। केंद्र सरकार के सहयोग से मेघालय सरकार द्वारा आगामी आठ नवंबर को इस महोत्सव का आगाज होगा। केंद्र सरकार के जैव प्रोद्यौगिकी विभाग द्वारा मणिपुर के इम्फाल में संचालित जैव संसाधन एवं सतत विकास संस्थान (आईबीएसडी ) और राज्य सरकार चार दिन तक चलने वाले इस महोत्सव का आयोजन कर रहे है।
संस्थान के वैज्ञानिक सचिव अलबर्ट चिआंग ने बताया कि आसमान को अपनी ऊंचाई से नीचे होने का एहसास कराने वाली मेघालय की गगनचुम्बी पहाड़ियों में चेरी की बहार हर साल नवंबर में पूरे उफान पर होती है। कुदरत के इस नायाब तोहफे से दुनिया को रूबरू करने के लिए वैश्विक स्तर के आयोजन की रुपरेखा बनायी गई है। जापान में 'सकुरा' कही जाने वाली गुलाबी रंग की जिस चेरी के पतझड़ को देखने के लिए सैलानी खिंचे चले जाते है, उस चेरी की दोहरी रंगत सैलानियों को शिलांग और यहाँ की विश्व प्रसिद्ध झील "वार्ड लेक" का रुख करने को मजबूर कर देगी, जहां सड़क के दोनों ओर गुलाबी और सफ़ेद चेरी से ढके पेड़ "चेरी ब्लॉसम" का अनूठा अहसास कराएँगे। चिआंग ने बताया कि जापान में पांचवी सदी में राजकीय तौर पर चेरी ब्लॉसम को पारम्परिक पर्व के रूप में मनाने की पहल दूसरे महायुद्ध के बाद विश्व शांति की पहल में तब्दील हो गई। तब जापान ने चेरी के हज़ारो पौधे मैत्री सन्देश वाहक के रूप में अमेरिका को तोहफे में दिए जो आज वाशिंगटन में स्थानीय स्तर पर हर साल होने वाले चेरी ब्लॉसम महोत्सव में दुनिया भर के सैलानियों को लुभाते है।
उन्होंने बताया कि संस्थान के निदेशक दीनबंधु साहू ने पर्यटन और अन्य देशो से आपसी रिश्तों को मजबूत करने में चेरी ब्लॉसम की सामाजिक आर्थिक अहमियत को समझते हुए साल 2015 में राज्य स्तरीय चेरी ब्लॉसम महोत्सव शुरू करने की पहल की थी। पिछले साल इसे राष्ट्रीय स्तर पर सफलतापूर्वक आयोजित करने के बाद इस साल इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित करने का फैसला किया गया है।
इस दौरान चेरी के फूलों से ढकी सड़को पर 'नाईट वाक' के साथ चेरी से बनी वाइन और अन्य पकवानों के जायके का लुत्फ़ स्थानीय पारम्परिक नृत्य और संगीत से सराबोर माहौल में उठाया जा सकेगा। साथ ही इस आयोजन में रोमांच को चेरी ब्लॉसम की तरह पूरे उफान पर ले जाने के लिए फुटबाल मैच, साइकिल रैली और फोटोग्राफी प्रतियोगिता के बीच चेरी के फूलों से बने परिधानों की प्रतियोगिता के लिए 'ब्यूटी कांटेस्ट' का भी आयोजन किया गया है।
नयी दिल्ली 15 अक्तूबर (भाषा) चेरी ब्लॉसम का जिक्र आते ही जेहन में जापान और अमेरिका के वे ठन्डे इलाके याद आते है जहां चेरी के फूलों से लदे बागान सर्द मौसम का स्वागत करने को बेताब दिखते है। लेकिन अब चेरी की रंगत का लुत्फ़ उठाने के लिए जापान या अमेरिका जाने की जरुरत नहीं होगी। सर्द मौसम की आमद पर भारत ने दुनिया भर के सैलानियों को चेरी ब्लॉसम की खुशनुमा रंगत से लुभाने की तैयारी कर ली है। भारत में दुनिया का पहला अंतरराष्ट्रीय चेरी ब्लॉसम महोत्सव मेघालय की राजधानी शिलांग में आयोजित किया जा रहा है। अपने तरह के इस अनूठे आयोजन की विस्तृत रुपरेखा का खुलासा मेघालय के मुख्यमंत्री मुकुल एम संगमा कल यहाँ करेंगे। केंद्र सरकार के सहयोग से मेघालय सरकार द्वारा आगामी आठ नवंबर को इस महोत्सव का आगाज होगा। केंद्र सरकार के जैव प्रोद्यौगिकी विभाग द्वारा मणिपुर के इम्फाल में संचालित जैव संसाधन एवं सतत विकास संस्थान (आईबीएसडी ) और राज्य सरकार चार दिन तक चलने वाले इस महोत्सव का आयोजन कर रहे है।
संस्थान के वैज्ञानिक सचिव अलबर्ट चिआंग ने बताया कि आसमान को अपनी ऊंचाई से नीचे होने का एहसास कराने वाली मेघालय की गगनचुम्बी पहाड़ियों में चेरी की बहार हर साल नवंबर में पूरे उफान पर होती है। कुदरत के इस नायाब तोहफे से दुनिया को रूबरू करने के लिए वैश्विक स्तर के आयोजन की रुपरेखा बनायी गई है। जापान में 'सकुरा' कही जाने वाली गुलाबी रंग की जिस चेरी के पतझड़ को देखने के लिए सैलानी खिंचे चले जाते है, उस चेरी की दोहरी रंगत सैलानियों को शिलांग और यहाँ की विश्व प्रसिद्ध झील "वार्ड लेक" का रुख करने को मजबूर कर देगी, जहां सड़क के दोनों ओर गुलाबी और सफ़ेद चेरी से ढके पेड़ "चेरी ब्लॉसम" का अनूठा अहसास कराएँगे। चिआंग ने बताया कि जापान में पांचवी सदी में राजकीय तौर पर चेरी ब्लॉसम को पारम्परिक पर्व के रूप में मनाने की पहल दूसरे महायुद्ध के बाद विश्व शांति की पहल में तब्दील हो गई। तब जापान ने चेरी के हज़ारो पौधे मैत्री सन्देश वाहक के रूप में अमेरिका को तोहफे में दिए जो आज वाशिंगटन में स्थानीय स्तर पर हर साल होने वाले चेरी ब्लॉसम महोत्सव में दुनिया भर के सैलानियों को लुभाते है।
उन्होंने बताया कि संस्थान के निदेशक दीनबंधु साहू ने पर्यटन और अन्य देशो से आपसी रिश्तों को मजबूत करने में चेरी ब्लॉसम की सामाजिक आर्थिक अहमियत को समझते हुए साल 2015 में राज्य स्तरीय चेरी ब्लॉसम महोत्सव शुरू करने की पहल की थी। पिछले साल इसे राष्ट्रीय स्तर पर सफलतापूर्वक आयोजित करने के बाद इस साल इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित करने का फैसला किया गया है।
इस दौरान चेरी के फूलों से ढकी सड़को पर 'नाईट वाक' के साथ चेरी से बनी वाइन और अन्य पकवानों के जायके का लुत्फ़ स्थानीय पारम्परिक नृत्य और संगीत से सराबोर माहौल में उठाया जा सकेगा। साथ ही इस आयोजन में रोमांच को चेरी ब्लॉसम की तरह पूरे उफान पर ले जाने के लिए फुटबाल मैच, साइकिल रैली और फोटोग्राफी प्रतियोगिता के बीच चेरी के फूलों से बने परिधानों की प्रतियोगिता के लिए 'ब्यूटी कांटेस्ट' का भी आयोजन किया गया है।
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