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पीटीआई-भाषा संवाददाता 20:47 HRS IST
पटना, 24 सितंबर :भाषा: गुरू गोविंद सिंह जी के जन्म दिवस पर मनाए जाने वाले 350वें प्रकाश पर्व के मद्देनजर गत 22 सितंबर से शुरू तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सिख सम्मेलन आज पटना में संपन्न हो गया।
अंतर्राष्ट्रीय सिख सम्मेलन के समापन के आज अंतिम दिन बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कहा कि सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी के 350वें जन्मोत्सव को प्रकाशपर्व के रुप में आयोजित करना राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती और एक सुअवसर दोनों हैं। प्रकाशपर्व के भव्य आकषर्क एवं सुव्यवस्थित रुप में आयोजित करना राज्य सरकार के लिए यद्यपि बहुत चुनौतीपूर्ण है। यह एक ऐसा अवसर भी है, जिसके माध्यम से बिहार की एक आकषर्क छवि विश्व पटल पर अंकित होगी।
राज्यपाल ने कहा कि भारत का इतिहास बिहार की कीर्ति गाथाओं से गौरवान्वित रहा है। सिख, बौद्ध और जैन धर्मो के प्रादरुभाव बिहार में ही हुये। सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गोविन्द सिंह की जन्मस्थली भी बिहार की धरती है।
उन्होंने कहा कि गुरु गोविन्द सिंह जी के उपदेश, उनकी वीरता और समाज सेवा अनुकरणीय है। राष्ट्रीय एकता और सद्भावना के प्रति समर्पित उनका व्यक्तित्व और कृतित्व समाज के उपेक्षित और वंचित वर्ग के लिए भी बराबर सहयोगी और प्रेरणादायी रहा है। उनकी कवित्व क्षमता भक्ति और राष्ट्रीयता की अदभुत मिसाल है। काम, क्रोध, लोभ, हठ, मोह, अहंकार आदि से विमुख रहते हुए प्रेम और भाईचारा के पथ पर चलने का उनका संदेश भौतिकतावाद से त्रस्त आधुनिक मानव के लिए भी अनुपम वरदान है।
कोविन्द ने भारत के इतिहास एवं विकास में सिखों के द्वितीय योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति सदभावना और सामाजिक समरसता की संस्कृति रही है।
अंतर्राष्ट्रीय सिख सम्मेलन के समापन के आज अंतिम दिन बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कहा कि सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी के 350वें जन्मोत्सव को प्रकाशपर्व के रुप में आयोजित करना राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती और एक सुअवसर दोनों हैं। प्रकाशपर्व के भव्य आकषर्क एवं सुव्यवस्थित रुप में आयोजित करना राज्य सरकार के लिए यद्यपि बहुत चुनौतीपूर्ण है। यह एक ऐसा अवसर भी है, जिसके माध्यम से बिहार की एक आकषर्क छवि विश्व पटल पर अंकित होगी।
राज्यपाल ने कहा कि भारत का इतिहास बिहार की कीर्ति गाथाओं से गौरवान्वित रहा है। सिख, बौद्ध और जैन धर्मो के प्रादरुभाव बिहार में ही हुये। सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गोविन्द सिंह की जन्मस्थली भी बिहार की धरती है।
उन्होंने कहा कि गुरु गोविन्द सिंह जी के उपदेश, उनकी वीरता और समाज सेवा अनुकरणीय है। राष्ट्रीय एकता और सद्भावना के प्रति समर्पित उनका व्यक्तित्व और कृतित्व समाज के उपेक्षित और वंचित वर्ग के लिए भी बराबर सहयोगी और प्रेरणादायी रहा है। उनकी कवित्व क्षमता भक्ति और राष्ट्रीयता की अदभुत मिसाल है। काम, क्रोध, लोभ, हठ, मोह, अहंकार आदि से विमुख रहते हुए प्रेम और भाईचारा के पथ पर चलने का उनका संदेश भौतिकतावाद से त्रस्त आधुनिक मानव के लिए भी अनुपम वरदान है।
कोविन्द ने भारत के इतिहास एवं विकास में सिखों के द्वितीय योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति सदभावना और सामाजिक समरसता की संस्कृति रही है।
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