मार्क्स ने कहा था कि बल -प्रयोग के बिना समाज का विकास हो नहीं सकता। इस काम में बल -प्रयोग एक क्रन्तिकारी भूमिका निभाता है। बल -प्रयोग नए समाज को गर्भ में धारण करने वाले पुराने समाज के लिए दाई (नर्स ) का काम करता है।
मार्क्स के बल -प्रयोग की अवधारणा को लेनिन एवं स्टालिन सही से समझ नहीं पाये। लेनिन,स्टालिन यह अच्छी तरह से समझ नहीं पाए की गर्भ की तरह समाज एवं संपत्ति के विकास में भी समय लगता है।
नए शिशु के जन्म के समय प्रत्येक पिता ढाई (नर्से )को अपने घर बुलाकर उसकी सेवाएं लेता है ,नए समाज के निर्माण में बल -प्रयोग की भूमिका भी एक दाई के अनुरूप होनी चाहिए , न कि एक बलात्कारी के अनुरूप।
मार्क्स के बल -प्रयोग की अवधारणा को लेनिन एवं स्टालिन सही से समझ नहीं पाये। लेनिन,स्टालिन यह अच्छी तरह से समझ नहीं पाए की गर्भ की तरह समाज एवं संपत्ति के विकास में भी समय लगता है।
नए शिशु के जन्म के समय प्रत्येक पिता ढाई (नर्से )को अपने घर बुलाकर उसकी सेवाएं लेता है ,नए समाज के निर्माण में बल -प्रयोग की भूमिका भी एक दाई के अनुरूप होनी चाहिए , न कि एक बलात्कारी के अनुरूप।
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